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अखिल ब्रह्मांड हमें आशीर्वाद दे रहा है , और हमें इस आशीर्वाद को बर्बाद नहीं करना चाहिए। और मेरे पास दूसरी युक्ति है जो वे प्रयास कर सकते हैं, जब वे तनाव अनुभव करते हैं या जब वे याद करते हैं केवल सांस लें और सोचें या कल्पना करें या अवगत हों कि वे सर्वोत्तम में सांस लेते हैं , उनके चारों और सर्वोच्च आशीर्वाद और स्वर्गिकता से , और फिर सांस छोड़ते हैं उस स्वर्गिकता को बाहर लाने के लिए और वातावरण पर कृपा करने के लिए और जगत पर । वे प्रयास कर सकते हैं कि किसी समय वे मुक्त हैं या याद करते हैं, और कुछ क्षण बाद, शायद वे बेहतर हो जाते हैं वे स्पश्टतर सोचते हैं और एक अधिक सज्जन व्यक्ति बन जाते हैं खुद के भीतर अधिक मूल्यवान। ब्रह्मांड से सबसे सर्वोत्तम सांस लें और उस आशीर्वाद तथा सकारात्मक उर्जा को उनके चारों ओर और जगत में फैलाएं । सर्वोत्तम अंदर, आशीर्वाद बाहर।