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“मैं” का जागरण: भगवान श्री रमण महर्षि (वीगन), 2 का भाग 2

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“जब कोई व्यक्ति पहली बार अपने सच्चे स्व को जानता है, [...] तो वास्तव में मनुष्य ने स्वयं को खोया नहीं होता है; बल्कि उन्होंने स्वयं को पा लिया है।” - भगवान श्री रमण महर्षि (शाकाहार)
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