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भीतर का परमात्मा: परमहंस योगानंद(शाकाहारी) द्वारा 'योगी की आत्मकथा' से चयन, 2 का भाग 1

विवरण
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“मनुष्य एक आत्मा है और उनके पास शरीर है। जब वह अपनी पहचान की भावना को सही ढंग से रखता है, वह सभी बाध्यकारी पैटर्न को पीछे छोड़ देता है।”